छवि-01

1 Comment:

  1. बेनामी said...
    छवी १. मैं तन्हा हूँ

    रात खामोश
    सूनी पगडँडी
    न हलचल, न जीवन
    बस खामोशी "मौत" सी
    क्यों डरा रही है?
    उस रेतीले बँजर शहर में
    काँटीली झाडी को, जो
    महसूस तो करता है
    पर कह नहीं सकता
    "मैं तन्हा हूँ "

    देवी नागरानी
    ॰॰

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