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छवि-01
प्रस्तुतकर्ता विजेंद्र एस विज पर
10:31 pm
लेबल:
छवि-01
1 Comment:
बेनामी
said...
17 अप्रैल 2006 को 9:14 am बजे
छवी १. मैं तन्हा हूँ
रात खामोश
सूनी पगडँडी
न हलचल, न जीवन
बस खामोशी "मौत" सी
क्यों डरा रही है?
उस रेतीले बँजर शहर में
काँटीली झाडी को, जो
महसूस तो करता है
पर कह नहीं सकता
"मैं तन्हा हूँ "
देवी नागरानी
॰॰
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उस रेतीले बँजर शहर में
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पर कह नहीं सकता
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देवी नागरानी
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