1.
करते करते काम कभी गर तुम थक जाओ
कार्यालय की कुर्सी पर चौड़े हो जाओ
ऐसे सोओ सहकर्मी भी जान न पाएं
रहे ध्यान आफिस में न खर्राटे आएं
ऐसा हो अभ्यास बैठे बैठे सो जाओ
कुम्भकरण को तुम अपना आदर्श बनाओ
जागो तब ही झकझोरे जब कोई हिलाए
पलक झपकते ही निन्नी रानी आ जाए
ऐसे लो जम्हाई कि दूजे भी अलसाएं
आंख बन्द करते तुमको खर्राटे आएं
अपने पैर पसार के लेओ चादर तान
जीवन की आपाधापी में जब भी लगे थकान
------------------------------- नीरज त्रिपाठी - Wed Feb 15, 2006 3:33 pm
लेबल: शीर्षक 03 – थकान