गुरुवार, 19 अगस्त, सन 2004 का दिन..बडी रोचक शुरुवात हुई थी गुट की.. बस यूँ बैठे बैठे.... तब से बस कारवाँ बढ्ता गया.. लोग लोग मिलते रहे..बिछुड्ते रहे..पर सब हमारे दिलो मे कभी ना मिटने वाली अमिट छाप छोड गये...उनकी रचनाये हमारे जेहन मे हमेशा तरोताजा बनी रहे..यही उद्देस्य है..यहाँ रखने का....क्या पता उनकी
रचनाये उन्हें फिर वापस यहाँ खींच लायेँ....
लेबल: हमारी शुरुवात्
अनूप
धन्यवाद!